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Friday, April 25, 2014

Editor Voice : CSIJ V 2 Issue 1 (2014)

Creative Space : International Journal
(Bi-monthly - Peer Reviewed Journal)
Multi Lingual and Multi Disciplinary
ISSN 2347-1689
Jan. to Feb. 2014

Vol 02, Issue 01

Editor Voice
I
 Chief Editor

हमने प्रकृति का दोहन किया है और कर रहे है | शैक्षणिक संस्थानों ने टेक्नोलॉजी को तो अपनाया है, फिर भी कागज का उपयोग सीमित नहीं हुआ है | हम इस भागीदारी में कागज का उपयोग सीमित करने की दिशा में सोच सकते है एवं उसे अमल भी कर सकते है | उच्च अभ्यास में लघुशोध निबंध, प्रबंध, प्रोजेक्ट, असाइनमेंट आदि हम कागज के दोनों तरफ उपयोग कर के ले सकते है; सोचो अगर ऐसा होगा तो एक पर्यावरणीय क्रांति ही आ जायेगी और हम उसके समर्थक कहलायेगें | यह एक विचार है किन्तु विचार को ही तो अमलीजामा पहनाया जाता है !

उच्च अभ्यास में छात्रों को गुलामों की तरह पिसा जाता है और छात्र तीन से पांच साल तक गुलामी के अंधेरों में पीसकर बाहर निकालता है | हम उनसे क्या अपेक्षा रखेगे भला ! फिर भी  गुलामी से ही तो स्वतंत्रता की हवा को पहचाना जाता है, उसी तरह हम डॉ. लगा के घूमते रहते है | हम जिसे देश दुनिया के विद्वानजनों में गिनते है, वह अध्यापक अपने अंडर में कर रहे शोध अध्येता को जाति, शारीरिक, मानसिक, आर्थिक रूप से कमर तोड़ देते है | शोध अध्येता जब मानसिक रूप से प्रताड़ित होता है और घर-परिवार की जिम्मेदारी उसमें भी खुद की जिम्मेदारी को समझे हुए, वह तीन से पांच साल गुलाम बन के रह लेता है | हम आप अपनी शिक्षा के मंदिर कहे जानी वाली युनिवर्सिटी में आये दिन देखते रहते है | हालाँकि सब अध्यापक ऐसे नहीं होते है, मगर फिर भी ऐसे लोग शिक्षा क्षेत्र को अपना अड्डा स्थापित करने की फ़िराक में हैं | वह मानसिक रूप से अपने पर हुए अत्याचारों को दूसरों पर थोपते है, जिससे उसे मानसिक संतुष्टि मिलती है | प्रस्तुत अंक में हमने विद्यार्थियों पर हो रहे अत्याचारों एवं भेदभावों को मद्देनजर रखते हुए शिक्षा की गणमान्य संस्था यूजीसी, नई दिल्ली ने यह बात की गंभीरता को समझते हुए, विधार्थिओं पर होते शोषण को रोकने के लिए कई आदेश युनिवर्सिटी, संस्थाओं एवं कॉलेजों को दिए हैं | कई युनिवर्सिटी ने उसे लागू किया है, तो कुछ ने मात्र यह आदेश है उसे जैसे थे रहने दिया है | विद्यार्थी संगठन हलकी राजनीति में लिप्त है | इसलिए ऐसे आदेश आये-गए हो जाते है | फिर भी कुछ यूनिवर्सिटी को महिला संबंधित हेल्पलाइन शुरू करना ही पड़ा | मगर यह मात्र कागजी करवाई रह गई, तो पत्तों के महल जैसा हो जाएगा | आज की स्थिति में हमें जागृत हो के  शिक्षा के इस अराजक  माहोल को मिटाने की कोशिश मिल के करनी चाहिए | जिससे जाति-लिंग, वर्ण-ज्ञाति, आर्थिक, मानसिक अत्याचार होने बंद हो जाये और हम स्वस्थ मानसिकता के साथ समाज, राज्य, देश के बारे में सही सोच और कार्य कर सके |

हमारे सामने बेकारी और युवाधन का अनुचित उपयोग भी एक गंभीर प्रश्न है | जिसके सामने तथाकथिक राजनीतिक एवं विद्वान मौन हो जाते है | युवा सोच पर नाजीवादी शासन थोप देते है | युवा सोच जो बनती भी नहीं और उसे गलत रूप से खंडनात्मकता की ओर मोड़ा जाता है | सरकारें निजी शैक्षणिक संस्थानों को प्रोस्ताहन दे कर अपनी दूकान चला रहे है; जब चुनाव आता है तो उन्ही पैसों से वोट को ख़रीदा जाता है | चुनाव आयोग ने भी सामान्य जन चुनाव से दूर ही रहे इसलिए चुनाव में खड़े रहने की फ़ीस ही इतनी रक्खी है कि जन साधारण की कमर ही टूट जाए | कई मुद्दे होते है मगर बच्चे जैसे चोकलेट के लिए लड़ाई करते है; वैसे राजनितिक लोग सत्ता के लिए लड़ते दिख जाते है | मेरी यह भाषा असंयमित होते हुए भी वास्तविक है और मुझे लिखना पड रहा है | क्या हम सही में सृजनात्मक या रचनात्मक है ? शायद नहीं ... | कम से कम मैं जीस स्थिति को देख रहा हूँ| वहाँ से तो मैं यही देख रहा हूँ | यह मेरे निजी विचार भी हो सकते है; आपके विचार भी आवकार्य है |

Creative Space : International Journal में लगातार काम करने और हमेशा रचनात्मक रहने पर अनिल खावडू को सहायक संपादक की जगह संपादक बनाया गया है | वह इस जर्नल को आगे ले जाये वही शुभकामनाए | इस तरफ डॉ. भरत भेड़ा भी अपना रचनात्मक सहयोग देते रहे है और लगातार जर्नल के बारे में अपने विचार प्रस्तुत करते रहते है | इस बार के अंक के वह अतिथि संपादक है | इन दोनों ने मेरी जिम्मेदारी कुछ कम की जिससे मैं अपना क्रिएटीव काम कर सका हूँ और आपके सामने यह अंक प्रस्तुत कर पाया हूँ | और भी कई साथी है जिसने हमें यथा समय सही दिशानिर्देश दिए; उनके भी हम आभारी है | इसके साथ ही हमने अपना ब्लॉग आरम्भ कर दिया है जहाँ से आप कभी भी कोई भी जानकारी प्रस्तुत पत्रिका के बारे में ले सकते हो | यह ब्लॉग आप नेट जगत में http://creativespaceip.blogspot.in यहाँ से देख सकते हो | आप ब्लॉग के माध्यम से अपनी बात भी रख सकते हो | आप हमें पत्र या मेल के माध्यम से आपके सुझाव अवश्य भेजें |

प्रधान संपादक
हरेश परमार

Conact : 09408110030




Editor Voice : Guest Editor

Creative Space : International Journal
(Bi-monthly - Peer Reviewed Journal)
Multi Lingual and Multi Disciplinary
ISSN 2347-1689
Jan. to Feb. 2014
Vol 02, Issue 01

Editor Voice
II
Guest Editor :

वस्तुतः साहित्य समाज को सदैव से परिष्कृत करता आया है | यूँ कहे तो भी गलत नहीं होगा कि उनकी धरोहर है | नये विचारों को प्रस्तुत करके समाज के लिए नविन पथ का मार्गदर्शक बनता है | क्योंकि विश्व की बड़ी से बड़ी क्रांति या आन्दोलन के पीछे साहित्य की अहम भूमिका रही है | उक्त विधान को ख़ारिज नहीं कर सकते है | साहित्य ही मनुष्य को परिमार्जित करता है, जीने की राह दिखता है | स्पष्टत: साहित्य और मानव का नाता अटूट एवं अभेद है |

आज के अति आधुनिक युग में विश्व मनुष्य की जेब भरा हुआ लगता है | भोगवादी संस्कृति मनुष्य को स्वार्थी तथा अकेलेपन के दलदल में धकेल रही हैं | भोगवाद में डूबा मनुष्य अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहा है | एक प्रकार से घुटन भरी जिंदगी जीने के लिए अपने को बाध्य करता जा रहा है | एक ओर जहाँ मानव चाँद और मंगल पर निवास करने की चाहना करता है , वहीं दूसरी ओर खुद को हीन युग में धकेल रहा हैं | क्योंकि आज के मानव की मानसिकता रुग्ण  एवं सड़ी- गली है | इसलिए आधुनिक युग में जीवन-यापन करने के बावजूद भी विचारों की दृष्टि से आदिकाल में जी रहे है|

भारत देश आज़ादी के स्वप्नें को कई सालों पहले साकार कर चुका हैं | किन्तु आजादी के स्वप्नें को मर्यादित वर्ग तक सीमित कर दिया गया हैं | आज भी नारी एवं पिछड़ें वर्गों को आये दिन शोषण की आग में धकेलने का षडयंत्र पला-फुला हैं | मुक्ति चाहना आज भी इन शोषित वर्गों से सेकड़ों कौसों दूर है | प्रस्तुत कहावत के अनुसार “दिल्ही दूर है” के मुताकिब नारी एवं पीड़ित वर्गों से समानता तथा बंधुता काफी दूर है | उनको आज भी समाज के हाशिये पर रखा जाता है | यूँ तो प्रबुध्ध समाज हितेच्छुओं के दिमागी सोच में बदलाव अवश्य आया हैं | साथ ही शोषण के आयामों में आधुनिक रवैये को प्रवृत्त भी किया हैं | आज के संचार माध्यमों की मोजुदगी विभिन्न क्षेत्रों के शोषितों से अवगत होते हैं | कहने को ही भारतीय अति आधुनिक युग में जी रहे हैं, किन्तु वैचारिक सोच एवं कार्य पध्धति के आधार पर हम अपने आप को पाषण युग में स्थापित करते हैं | आज भारत देश की अलग-अलग राज्यों में या क्षेत्रीय भू-भागों में जीवन-यापन करने वाले लोगों के अंतर्गत पिछड़ा वर्ग तथा नारी की स्थिति आज दयनीय और जानवरों से भी गयी गुजरी हैं | साथ ही आधुनिकता की दुहाई देने वाले शहरी लोग भी शोषण के शुभ कार्य में पीछे नहीं हैं | शोषित वर्गों का शोषण आंगनवाडी से लेकर विश्वविद्यालय तक होता हैं | कहीं नोकरी को लेकर तो, कहीं व्यवसाय, तो कहीं राजनीति |  नारी भी दोहरें-तिहरें अभिशाप को झेल रही हैं | एक तो मादा और पुरुषों की अनुगामी | नारी आज के युग में घर की दहलीज से लेकर कहीं पर सुरक्षित नहीं हैं | आये दिन बलात्कार, घरेलू हिंसा, हत्या अमानुषिक अत्याचार, घुटन, संत्रास, अवहेलित आदि का शिकार नारी होती रहती हैं |

 प्रस्तुत अंक में उक्त संवेदनशील विषयों पर साक्षरों की कलम से विचारों का प्रवाह चला हैं | उनके माध्यम से अवहेलित वर्गों तथा नारियों के प्रति सहिष्णुता का पक्ष रखना सार्थक कार्य हैं | क्योंकि ज्ञान के समन्दर को समेट लेना असम्भव-सा हैं | किन्तु नवोदित विचारकों, साक्षर चिंतकों के अथाग प्रयास से ज्ञान के अभ्युत्थान रूपी दीपक यानी हमारी पत्रिका को अधिक सामर्थ्यता प्रदान करता हैं | आशा रखते हैं ज्ञान के दीपक को प्रज्वलित करते हुए कहीं पर भी गलती हुई हो तो क्षमार्थी हैं |

धन्यवाद

अतिथि संपादक

डॉ. भरत भेडा
Assistant Prof. (Contrect),
Hindi Department,
DKV Arts and Science College,
Jamnagar (Gujarat).
Email : bharatbheda11@gmail.com

Sunday, April 13, 2014

Editorial and Peer Reviewed Board

Creative Space : International Journal
(Bi-monthly - Peer Reviewed Journal)
Multi Lingual and Multi Disciplinary 
ISSN 2347-1689

Chief Editor

Haresh Parmar (HareshKumar V. Parmar)
Assistant Prof.
Gujarati Department, D.K.V. Arts and Science College, Jamnagar – Gujarat
® ‘Aashiyana’, 40, Ramnagar, Nr. Vrundavan Soc., Madhuram, Nr. Timbavadi Bypass, Junagadh – 362 015, Gujarat, India

Editor

Dr. Shivdatta Wavalkar

Dr. Rekha Kurre

Anil Khavdu
Assistant Prof. (Contract), Hindi Vibhag, Govt. Arts & commerce college, Ahwa, Dang (B. N., Gujarat),


Associate Editor 
·       Syed Hayath Basha Quadri, Lecturer in English, Govt. Senior Secondary School, J - Block, Saket, New Delhi.  ® House No.2/222 Mandlem Po,Nandikotkur Taluk, Kurnool Dist. (A.P.) Email : hayath83n@gmail.com
·       Dilip Chavda, Email : nildipgujarati@gmail.com   
·       Dr. BharatKumar V. Bheda, Assistant Prof., Hindi Department, DKV Arts and Science College, Jamnagar (Gujarat). Email : bharatbheda11@gmail.com
·       Dr. Anilkumar M. Makdia, Assistant Prof., Hindi Department, Ranavav Arts College, Ranavav, Dist. Porbandar (Gujarat),
·       Niroj Kumar Sethi, Research Scholar, SOH, IGNOU, New Delhi
·       Smita Mishra, Research Scholar, SOH, IGNOU, New Delhi
·       G. Niranjani
Assistant Professor, No.17, Aiswarya Nagar, Thirumulaivoyal, Ambattur, Chennai, (Tamil Nadu)

Advisory and Peer Reviewed Board

·       Prof. Prasad Brahmbhatt
ASC Director (X Director), ASC-UGC, Gujarat University, Ahmedabad (Gujarat) 
·       Dr. M. B. Gaijan,
Head, Deptt. Of English, Samaldas Arts College, Bhavnagar University, Bhavnagar – 364002 Email : gaijanmb@yahoo.co.in
·       Dr. Visier Sanyu
Melbourne University, Melbourne, Australia E-mail: nokpao@gmail.com
·       Eva De Clercq
Faculty of Arts and Philosophy, Ghent University, Belgium
·       Dr. R. N. Kathad
Associate Professor, Sanskrit Dppt. Saurashtra University, Rajkot (Gujarat)
·       Dr. K. S. Chotaliya
Associate Proffessor, Hindi Deppt., Josipura Mahila Arts and Commerce College, Junagadh (Gujarat)
·       R. M. Jadeja
Princhipal and Prof., Shree D.K.V. Arts & Science College, Jamnagar (Gujarat)
·       Dr. M. N. Vaghela
Head Of Hindi Department Dr. Virambhai Rajabhai Mahila College opp. Khichadi Mg road, Porbandar – 360575  (Gujarat)
® shri ji nagar 1 'hurdya aalay' house name near suruchi school post; udhyog nagar, Porbandar (Gujarat)
·       Dr. Parmod Kumar
Assistant Professor in English,  School of Humanities,  GNOU,  New Delhi.      
·       Dr. Devendra Kumar
Assistant Professor, R.L.A. College (Evening), University of Delhi, Delhi
·       Hiteshkumar V. Parmar
Assistant Professor, College of Agricultural Engineering and Technology, Junagadh Agricultural University, Junagadh
® Ramnagar, 40, Nr. Vrundavan Soc., Madhuram, Nr. Timbavadi Bypass,
Junagadh – 362 015, Gujarat, India. Email : hitesh7hp@gmail.com  
·       Chintan D. Gohel
Assistant Professor, Gujarat Vidhyapith, Ahmedabad (Gujarat)
·       Sureshkumar J. Parghi
Assistant Professor, Computer, Comp. Department, Shree V. M. Mehta Muni. Arts and Com. College, Jamanagar (Gujarat). Email : suresh_parghi@yahoo.com
·       Mina H. Rathod     
      Adhyapak sahayak, B. D. Shah college of education, Modasa , Dist. Aravalli. Email : meenarathod2013@gmail.com

Friday, April 11, 2014

Creative Space Vol 2 Issue 1 2014

Creative Space : International Journal
(Bi-monthly - Peer Reviewed Journal)
Multi Lingual and Multi Disciplinary
ISSN 2347-1689

Vol 2 Issue 1 2014

Table of Contents 

English

1.     Dalit Literature/ Ambedkarite Literature: An Interpretation from Social Perspective
Dr. M. B. Gaijan                                                

2.     Mental Health and Occupational Stress of School Teachers In Relation to their gender and types of Schools
     Dr. K. B. Chothani                                                         

3.     A Comparative study of Profitability Analysis of  Cipla and Cadila Healthcare
Dr. Anju Sondarva                                                       

4.     Dr. Ambedkar and His Economic, Political and Legal Writings – A Literary Study
Dr. Rushikesh N. Upadhyay                          

5.     Golden rules of green marketing
     Dhole Kishorbhai. G                                         

6.     Human Resource Accounting: Objectives
    Narbhavar Ganeshbhai C.                                            

7.     Use of songs in Lion and The Jewel and Madmen and Specialists
     Gajera Purvi N.                                                   
                                                           
8.     Web 2.0 technologies: Tools for teaching English
     Parmar  Kalpesh K.                                                       
9.     Arundhati Roy’s The God of Small Things – A Feminist Study
     Bhavesh C. Borisagar                                        

10.  Mental  Health  and  Occupational  Stress  among  Male  and  Female  School  Teachers
     *Kamleshkumar S. Kharadi
     **Yogesh A. Jogsan                                                                                                        

11.  Social Intelligence and Family Relationship among Student
     *Nilesh M. Vadoliya
     **Yogesh A. Jogsan                                                        

Hindi

12.  नारी चेतना का पुनर्पाठ-पथप्रज्ञा
    डॉ. बी. के. कलासवा                                                  

13.  डॉ. भीमराव आंबेडकर और पत्रकारत्व
    डॉ. एम. एन. वाघेला                                        

14.  भीष्म साहनी की कहानियों में समकालीन यथार्थबोध
    प्रा. डॉ. के. एस. चोटालिया                                           

15.  गृहिणी और कार्य करती स्त्रीयों में स्व-नियंत्रण और मनोवैज्ञानिक मुखाकारी का अभ्यास
(Self Control and Psychological Well Being among Working Women and Non Working Women)
*छांसीया बलवंत एम.
** योगेश ए. जोगसन                                                 

16.  कार्य करती और न करती स्त्रियों में धार्मिकता और फैशन के प्रति मनोवृत्ति (विचार पद्धति) का अभ्यास
(A Study of Attitude of Toward Religious and Fashion among Working and Non-Working Women)
      * झाला हितेष एम.
** योगेश ए. जोगसन                                                 

17.  सामाजिक  परिप्रेक्ष्य  में  स्त्री – अस्तित्व का सवाल !
(नासिरा शर्मा का ‘ ठीकरे की मँगनी ’ उपन्यास के विशेष संदर्भ में  )
प्रा.डॉ .भरतकुमार.वी.भेडा                                

18.  महिला रचनाकारों के नारी पात्र
प्रा. अनिल खावडु                                           

19.  डॉ. रांगेय राघव के उपन्यासों में सामाजिक चेतना
आशिष शर्मा                                                           

20.  सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की कहानियो में युग बोध
मानसी हालाणी                                                       

21.  नागार्जुन के उपन्यासों में व्यक्त लोक-संस्कृति
         भालोडिया मितल जे.                                             

Gujarati

22.  સ્ત્રીઓના માનવઅધિકારો
પ્રા. કલ્યાણી આર. ભટ્ટ                         

23.  ભાસના રામાયણ-મહાભારત પર આધારિત નાટકોમાં ઉપેક્ષિત પાત્રોનું ઉર્ધ્વીકરણ
               પ્રા. ડૉ. રામજીભાઈ આર. રોહીત                                        

24.  સૌરાષ્ટ્રમાં રબારીઓનું આગમન
               ડૉ. જીતેષકુમાર એ. સાંખટ                                                    

25.  સૌરાષ્ટ્રની લોકસંસ્કૃતિ
               ગિરિશકુમાર એ. સાંખટ                                                           

26.  આધુનિક ટેક્નોલોજી અને સામાજિક પરિવર્તન
કમલેશ બી. ચુડાસમા                                                       

27.  મહાપ્રતાપી ચાણક્ય
ચૌહાણ ચારૂલતા સી.                                                        

28.  પ્રવાહણઃ મહાકાશમાં પડઘાતી ઘટાકાશી ચીસ
શર્વાણી . પટેલ